आ’ज़ाद हि’न्द फौ’ज में क’प्तान रहें अ’ब्बास अ’ली की ब’हादुरी को स’रकार इस ख़ा’स तरह से देगी स’म्मान, ला’ल क़ि’ले में …

ने’ताजी सु’भाष च’न्द्र बो’स की आ’जाद हिं’द फौ’ज में कप्तान रहे स्व’तंत्रता संग्रा”म से”नानी के’प्टिन अ’ब्बा’स अ’ली का चित्र रा’ज’धानी दिल्ली स्थित ला’ल कि’ले में नेता’जी सुभाष चन्द्र बोस और आ’जद हि’न्द फ़ौ’ज की याद में बनाए गए संग्रा’लय की मुख्य जगह में उनके चित्र को प्र’मु’ख’ता के साथ ल’गा’या गया। बता दे , इस संग्रालय की दी’र्घा में ने’ता’जी ओर उ’न’के अन्य सह’यो’गि’यों के चित्र लगाए गए है।

इस साल 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने दिल्ली में लाल किले के अंदर बनाए गए इस संग्रालय का उद्घाटन किया था। उस समय कहा गया था कि इस संग्रहालय में सुभाषचंद्र बोस, उनके साथियों और आजाद हिन्द फ़ौज से जुड़ी चीजो को प्रदर्शित किया जाएगा। 3 जनवरी 1920 को उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले में कलन्दर गड़ी खुर्जा में जन्मे कप्तान अब्बास अली बचपन से ही सरदार भगत सिंह के क्रां’ति’का’री वि’चारों से प्रभावित थे।

1939 में अ’लीगढ़ मु’स्लिम यू’निवर्सिटी से इंटरमी’डिएट करने के बाद आप दूसरे वि’श्व यु’ध्य के दौरान बि’र्तानि सेना में भर्ती हो गए थे। 1943 में जापा’नियों द्वारा मला’या में यु’ध्य ब’न्दी बनाए गए। इसी दौरान आप नेता’जी सु’भाष च’न्द्र बोस” द्वारा बनाई गई आ’जाद हिं’द फौ’ज में शामिल हो गए थे। उन्हें मुल्ता’न के किले में रखा गया, को’र्ट मा’र्शल किया गया ओर स’जा ए मौ’त सुनाई गई।

लेकिन 1946 में देश मे अं’ति’म स’र’कार बन जाने ओर देश आ’जाद हो जाने की घो’षणा हो जाने की वज’ह से रि”हा कर दिए गए। 1948 में लोहिया के नेतृत्व में सो’श’लिस्ट पा’र्टी में शामिल हुए और 1966 में उत्तरप्र’दे’श सं’यु’क्त सो’श”लि’स्ट पा’र्टी और 1973 में सोशलिस्ट पार्टी उत्त’रप्रदेश के राज्यमंत्री निर्वाचित हुए । कैप्ट’न अब्बा’स अ’ली जीवन भर समाज’ के शो’षित , वं’चित ग’रीब ओर हो’शिय पर रहने वाले लोगो के बीच ‘का’म करते थे।

आजाद हिं’दुस्तान में ग’रीब, कि’सा’न और म’ज’दू’रों के हक की ल”ड़ाई ल’ड़’ते हुए ओर सि’विल ना”फरमानी करते हुए 50 से अधिक बार विभि’न्न ज’न आं”दोल’नों में जे”ल भी गए। सन 2009 में उनकी आ”त्म”कथा ‘ना रहू किसी का दस्त’नि’gर’ राजक’मल प्र’काशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गई। 94 वर्ष की उम्र तक सं’घ’र्ष करते हुए ज’न आं”दोलनों में शि’रकत करते हुए 11 अक्टूबर 2014 को वो इस दुनिया से हमे’शा के लिए अ’ल’विदा कह गए।

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