फ़ातिमा शेख है भारत की पहली महिला शिक्षिका, महिलाओं के लिए खोला था पहला स्कूल

देश की आजादी के लंबे वक्त बाद भी आज हम उन बहादुर महिलाओं को याद करते है जिन्होंने देश को बहुत कुछ दिया है । इन जांबाज महिलाओं ने किसी की भी परवाह नही करते हुए, अपनी जान की परवाह किए बगैर आजादी के समय लड़ी और हमें आजादी दिलाई। किसी ने अपना जीवन समाज से’वक के रूप में लगा दिया। सालों पहले महिलाओं के लिए आजादी, शिक्षा से दूर रखा जाता था। उनका विवाह कम उम्र में कर दिया जाता था।

लेकिन आज हालात बहुत ही बिल्कुल वि’प’रीत दिखाई देते है। सरकार बेटियों की मदद के लिए आगे आई है , उनके लिए सही कदम भी उठा रही है। जैसे सरकार ने बाल विवाह पर रोक लगाई है। आज महिलाएं अपना और देश का नाम रोशन कर रही हैं।आज हम आपको बताने जा रहे है भारत की पहली शिक्षा, कवियत्री, समाज सेविका के बारे में । जिनका लक्ष्य लड़कियों को शिक्षित करना रहा है।

इनके साथ ही महिलाओं का स्कूल खोलने वाली महिला है फातिमा शेख। 3 जनवरी को इनका जन्म हुआ। इनकी 188वी जयंती मनाई गई है। सावित्रीबाई को पूरे सम्मान के साथ याद किया जाता है। जिन्होंने इतनी अच्छी सोच के साथ महिलाओं को जज्बा अता किया। सावित्रीबाई ने सन 1848 में पुणे के भिड़े वाडा में लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला और पढ़ाना शुरू किया।

फातिमा शेख भी इनके साथ थी। जिन्होंने सावित्रीबाई को और इनके पति ज्योतिबा फुले को रहने के लिए घर दिया। यह पहली गर्ल्स स्कूल टीचर थी। लेकिन आज तक फातिमा शेख का नाम नही लिया जाता है और सावित्रीबाई को सम्मान दिया जाता है। फातिमा शेख गुमनाम रही । सारी प्रसिद्धि सिर्फ सावित्रीबाई के नाम आई है। फातिमा शेख का काम सावित्रीबाई के बराबर तो नही है लेकिन कई मायनों में ज्यादा साहसिक और परोपकारी भी माना जाता है।

फातिमा मुस्लिम मोहल्लों में जाति थी और परिवारो को स्त्री शिक्षा के बारे में बताती थी। उन्हें एक साथ हिन्दू मुस्लिम का सामना करना पड़ा। बता दे कि महाराष्ट्र सरकार ने उर्दू टेक्स्ट बुक बाल भारती में फातिमा शेख के योगदान का जिक्र किया हैं।फ़ातिमाशेख के भाई उस्मान शेख ने उनको स्कूल खोलने के लिए मकान दिया।

दलित आंदोलन ने पिछड़ी जातियों के नायक और नायिकाओं को तो अपनाया। लेकिन फातिमा शेख को पर्याप्त महत्व नही किया। उस जमाने मे टीचर मिलने मुश्किल थे। फातिमा शेख ने सावित्रीबाई के स्कूल में पढ़ाने की जिम्मेदार संभाली थी। फातिमा शेख का नाम बहुत ही कम मिलता है। उम्मीद है कि फातिमा शेख के साथ इस दौर में न्या’य हो पाएगा।

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