गुजरात: जब नमाज पढ़ने और रोज़ा तोड़ने के लिए खुल गए मंदिर के दरवाजे

कहते है रा’जनिति लोगो के आपसी भाईचारे का तोड़ने का काम करती है। लेकिन ध’र्म चाहे जो भी ही वह लोगो को आपस मे जोड़ने में ही भरो’सा रखता है। देश मे कीच ताकतों को दो समु’दायों के बीच नफ’रत फै’ला’ने से फुर्स’त नही है

लेकिन गुजरात के एक छोटे से गांव के लोगो ने सा’म्प्र’दा’यिक सौ’हार्द और भाईचारे की ऐसी मिसा ल पेश की है जिसकी जितनी ता’रीफ की जाए इतनी कम है।रम’जान के महीने में ऐसा पहली बार हुआ है जब मु’स्लि’म समा’ज के भा’इयों के लिए रोजा और

मग’रिब की नमा’ज पढ़ने के लिए एक प्रा’चीन मं’दिर के द’रवाजों को खोल दिया गया है। यही नही मं’दिर के लोगो ने रो’जेदार के लिए 100 से ज्या’दा खा’ने पीने का इं’तजाम भी अपनी तरफ से किया है।बीते कुछ सालों में दे’श मे जिस तरह का मा’हौल

बनाया गया है उसे देखते हुए कौ’मी एक’ता की बड़ी मिसाल देखने को मिली है। गुज’रात के दिलवा’ड़ा जिले के बनास’कांठा में एक छोटा सा गांव है। यह मं’दिर 1200 साल पुराना है।इस गांव के रहने वाले एक नोज’वान व्या’पारी व’सीम खा’न बड़े ही फ’ख्र से इस बात को बताते है कि हमारा गांव दो

स’मुदा’यों के बीच भा’ईचा’रे की लिए जाना जाता है। हमने अपने हिं’दू भाइयों के साथ उनके त्योहा’रों से भी कं’धा से कं’धा मिलकर काम किया है। देश मे कई राज्यो में ऐसा माहौल देखने को मिलता है।

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