देश के पहले मु’स्लिम एयर फोर्स चीफ ने पा’क का ये ऑफर ठु’करा’कर सिखाया था स’बक़ , विस्तार से जानिए

वह देश के पहले मु’स्लिम ए’यर ची’फ जिन्होंने 1971 में पा’किस्तान को स’बक सिखाया था। उनके पिता हसन इदरीस हैदराबाद में ची’फ इंजी’नियर हुआ करते थे। देश के पहले मु’स्लिम ए’यर ची’फ इ’दरी’स ने पढाई नि’ज़ाम कॉलेज से ही। इसके बाद वह आगे की पढाई करने के वे’लिंग्ट’न गए। वहां उन्होंने डि’फे’न्स स’र्वि’स स्टा’फ कॉले’ज में पढाई पूरी की। 1971 में भारत पाक की लड़ाई में वह अ’सि’स्टेंस ची’फ ऑ’फ़ एय’र स्टाफ’ (प्लेन ) थे।

वो एक मात्र मु’स्लि’म ए’य’र फो’र्स थे ,जो एय’र ची’फ मा’र्शल के पद पर पहुचे थे। उन्हें 1971 में परम विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। भा’रत आ’जाद के पहले मु’स्लिम ए’यर फो’र्स चीफ इ’दरीस ह’सन लतीफ का जन्मदिन हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 9 जून, 1923 को जन्मे इदरिश का हैदराबाद में जन्म हुआ था। इदरिश का 94 वर्ष की उम्र में नि’ध;न हुआ है। 1 मई 2018 को 94 वर्ष की उ’म्र में नि’धन हो गया।

1947 में भा’रत और पाकि’स्तान के वि’भाजन के समय उनको दोनो एयर’फोर्स में जाने का मोका मिला था। लेकिन उन्होंने भारत का ही विकल्प चुना। बाद में उन्हें महा’राष्ट्र का राज्यपाल और फ्रांस में राज’दूत नियुक्त किया गया। देश के बंट’वारे के वक्त एक तरफ इनके दोस्त नूर म’लिक और अ’सगर अली पाकि’स्तान चले गए और वहां के से’ना प्रमुख बने। लेकिन इद’रिश के दोस्तो ने उन्हें पाकि’स्तान बुलाया , लेकिन इद’रिश भारत मे ही रहकर एय’र चीफ बने।

ब’ट’वा’रे से पहले इन तीनो दोस्तो ने भारत के लिए ल’ड़ाई ल’ड़ी। दूसरे विश्व’युद्ध में भी साथ लड़े। लेकिन 24 साल बाद 1971 कि जं’ग में दो’नों आमने सामने थे। इस जं’ग में पा’कि’स्ता’न को स’रें’डर करना पड़ा। उस वक्त इद’रिश ए’यर ची’फ के पद पर थे। मिग 23 और मिग 25 को इं’डि’य’न ए’य’र’फो’र्स के बे’ड़े में शामिल कराने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है। बता दे , इदरीस देश के दसवें वा’यु से’ना प्रमुख बने थे।

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