जब 1971 की भारत-पाक लड़ाई में 300 महिलाओं ने 72 घंटो में भारतीय सेना के लिए सड़क बना दी

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भा’रत पा’क के बटवारे में कई लोगो शही’द भी हुए है और कही लोगो को देश छोड़कर दूसरे देश भी जा’ना पड़ा है। साल 1971 का भा’रत पा’क यु’द्ध चल रहा था। 8 दि’सम्बंर को गुज’रात के कच्छ जिले के एक गांव के पास पाकि’स्ता’न जबर’दस्त गो’ला’बा’री कर रहा था। इस ब’म’बा’री के शि’का’र में

इंडियन एयरफ़ोर्स की एयर स्ट्रिप भी हुई। यह पट्टी पूरी तरह से त’बा’ह’ हो गई थी। जंग के बीचों बीच इंडि’यन एयर’फोर्स के विमा’न का उड़ा’न न भरना बहुत ब’ड़ी चू’क भी ही सकती थी। वायु सेना ने बाद में BSF से मदद की बात की लेकिन इस एयर स्ट्रि’प ठी’क करने के लिए कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगो की भी ज’रूरत थी।

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इस मु’सीब’त में आगे आए भुज नाम के 300 गांव के लोगो मे अपनी जा’न पर खे’लकर यह एय’र स्ट्रि’प को बनाया थाइनमें ज्यादा’तर महि’लाए थीं। देश के लिए सेवा के इस मौके को भुज के मा’धोपुर गांव की म’हिलाओं ने जा’ने न’ही दिया

और सभी ने कुल 72 घण्टे में इस स्ट्रिप को बना दिया।इस काम के लि’ए टास्क टीम की एक सदस्य महिला वल’वाई सेघा’नी ने अहमदा’बाद मि’रर से बात करते हुए कहा है कि 9 दिसम्बंर 1971 की रा’त को मुझे लगा कि मैं एक फौ’जी हूं। वो बताती है

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कि जिस वक्त उन्हें बताया गया कि उन्हें जहां रोड़ बनानां है वहां पर ब’मबा’री हो रही है। इसमे एक भी म’हिला पी’छे न’ही ह’टी और उ’त्साह से आगे भी काम करने लगी।

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