जमिया मिलिया इस्ला’मिया के फैकल्टी डॉ. मनसफ़ आलम और उनकी टीम द्वारा अविष्कार किए गए आ’र्टिफिशि’यल इं’टेलि’जेंस आ’धारित ड’स्टबिन को पेटेंट का’र्यालय ऑस्ट्रेलि’या सरकार द्वारा बौध्दिक सम्पदा के रूप में पेंटेट भी प्रदन भी किया गया है।
डॉ किरण चौधरी, शिवाजी कॉलेज, डीयू और अन्य संस्था’नो के शोधक’र्ता भी इस टीम का हिस्सा भी रहे है। डॉ आलम एसोसिएट प्रोफेसर बिग डाटा, क्लाइड कम्प्यूटिंग औरIo T प्रयोगशाला, कम्प्यूटर वि’ज्ञान विभाग जमिया से है। आपको बता दे कि ‘आर्टिफिशि’यल इंटेलि’जेंस बेस्ट डस्टबिन का
उद्दे’श्य का अवि’ष्कार के प्रमु’ख कूड़े’दान में उसमे फेके गए विस्फो’टक, रे’डियो’धर्मी सा’मग्री आदि जैसी हा’निकार’क वस्तुओं का पता लगाने के लिए उसे सक्ष’म बनाकर उसे ‘स्मार्ट बनना भी है। यह सेंसर डस्टबिन के साथ भी लगे हुए होते है।जो इसमें डं’प की गई किस भी हा’नि’का’रक वस्तुओ के बारे में संकेत भेजकर उ’सको सूचित भी करते है।
डॉ आलम ने कहा है कि हम ने इस जामिया फैकल्टी डॉ. मनसफ आलम के आविष्कार ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ट डस्टबिन’ को मिला ऑस्ट्रेलियाई पेटेंट कूड़ेदान को सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए विकसित भी किया है। जिससे कूड़े’दान इंसानों की तरह ही व्यय’वहार भी करते है। इसमी कृति’म बु’द्धि की मदद से बु’द्धि’मा’न की बयान भी करते है।यह बहुत ही ज्यादा नि’श्चित रुप से देश समा’ज के लिए एक उप’योगी उत्पाद भी होगा।
जमिया मिलि’या ने हाल ही में एकं नया रिकॉर्ड भी बनाया है। दरअसल जमिया मिलिया इ’स्ला’मिया के लिए बहुत ही गर्व की बात भी है कि स्टैनफर्ड यूनिव’र्सिटी, यूए’सए ने संस्था’न के 16 शोधकर्ताओं को दुनिया के शीर्ष 2 फीसदी वैज्ञा’निकों को प्रति’ष्ठित वै’श्विक सूची में शामिल भी किया है