ज’म्मू कश्मी’र के पु’लवामा में बीते दिनों ही हि’न्दू और मु’स्लि’म भा’ईचा’रे की मि’सा’ल देखने को मिली है। यह पु’लवा’मा के वाही भु’ग गांव में रहने वाले कश्मीरी पंडि’त के नि’धन के बाद उनका अं’तिम सं’स्कार स्था’नीय मु’स्लि’मो ने ही किया है। बताया जा रहा है कि वही भुग में
एक कश्मी’री पंडित का परिवार रहता है। 80 साल के कन्या लाल आपाने प’रिवार के साथ ही वहां पर रहते है कन्या ला’ल का नि’ध’नहो गया। इसके बाद पूरे गांव के लोगो ने इकठ्ठा होकर हिन्दू रीति रिवाज से कन्या लाल का अंतिम असंस्कार भी करवाया। कश्मीर से विस्थापन होने के बाद भी वह वही रहे।
उनके कई रिश्तेदारऔर पड़ोसियों ने गांव छोड़ दिया लेकिन उन्होनें नही छोड़ा। आपको बता दे कि अक्टूबर के महीने में जब क’श्मी’र के अ’ल्प’संख्य’को पर आं’तकि ‘यो ने ह’मला कि’या तो अधिका’रियों ने कन्या लाल को सुर’क्षा देने के लिए भी कहा लेकिन कन्या लाल से इससे इ’न”कार कर दिया गया था।
बीते दिनों जब उनका इंतकाल हुआ तो मु’स्लि’म प’ड़ोसी ही उनके अं’तिम सं’स्कार में शामिल भी हुए। इसके अलावा गांव की म’हिलाओं ने री’ति रि’वाजो में हिस्सा भी लिया। कन्या लाल के भाई मनोज ने कहा कि वह गांव वालों के आभारी है।
उन्होंने कश्मीर में ऐसे स’दभा’वना को काम’याब भी रखा है। इसके लिए ही देश को भी जाना जाता है। मनोज ने कहा कि मैं ज’म्मू से आया हूं, मैं गां’व वालों का आभारी हूं कि उन्होंने मेरे भा’ई के अं’ति’म सं’स्का’र करवाने में मदद भी की है।