पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) ने इरशाद फरमाया, दोजख से बचो एक खजूर सदका देकर अगर ये भी नहीं तो फिर ये करें

इ’स्लाम एक ऐसा मजहब है जिसमे हर काम के बदले में नेकिया मिलती है। यहां तक कि बीच रास्ते मे पड़ा पत्थर उठाने से भी नेकिया मिलती है। किसी की तरफ इज्जत देना और मुस्कुराने में भी अ’ल्लाह ताला ने नेकिया लिखी है। एक मुसलमान को हजरत मुहम्मद मुस्तुफा सल्लाहु अलैहि वस्सलम के बताए हुए रास्ते पर चलने का हुक्म है।रम’जान के महीने का दुनिया भर के मु’सलमा’न बड़ी बेसब्री से इंतजार करते है।

इस महीने में हर एक मु’सलमा’न इ’बादत में लगा रहता है। बुराइयों से दूर, नमाज़ों की पाबंदी, यहां तक के अपने कारोबार को भी सीमित कर लेते है। हम आपको एक किस्सा बता रहे है। अनस बिन मलिक रदी अल्लाहुअन्हा से रिवायत है कि रसू’लुल्ला’ह सल्ला’हु अ’लैहि वस’ल्लम ने फरमाया अब अल्ला’ह सुब्हा’नहु ने जमीन बनाई है तो वो हरकत करने लगी फिर अल्लाह ने पहाड़ बनाए और उन्हें हुक्म दिया कि उन्हें थामे रहो।

फ’रिश्तों को पहाड़ो के मजबूती पर ता’ज्जुब हुआ उन्होंने अ’ल्लाह से पूछा कि क्या आपकी मख़लूक़ात में पहाड़ोसे ज्यादा मजबूत भी कोई चीज है , अ’ल्ला’ह ने फरमाया की लोहा।फिर उन्होंने फरमाया की क्या लोहे से ज्यादा कोई ची’ज है । तो फ’रमाया आग ,फिर फ’रि’श्तों ने पूछा कि क्या इससे ज्यादा कोई चीज है। तो आपने फरमाया पानी। फरि’श्तों ने फरमाया की इससे भी सख्त कोई तो होगा।

अ’ल्ला’ह रबबुला’लमिन ने फरमाया हवा, लेकिन इस बात पर भी फ’रि’श्तों को स’ब्र नही हुआ। उन्होंने वापस वही सवाल किया।फ’रि’श्तों की यह बात सुनकर अल्ला’ह ने फरमाया , हाँ एक चीज है वो है इब्ने आ’दम। ऐसा ही अपने सीधे हाथ से सदका करता है तो उसके बाएं हाथ को भी ख’बर ना हो। (jamia irmidhi , Vol2, 1294- hasan)

हमारे न’बी फरमाते है कि दो’ज’ख से बचो सदका देकर, फिर वो चाहे खजूर का एक टुकड़ा देकर ही सही और जिसे ये भी ना मिले उसे चाहिए के अच्छी बात कहकर भी। (सही बुखारी, जिल्द 8, 6563 )

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