खैबर दर्रा : जहां सिकंदर-ए-आज़म से लेकर अंग्रेजों तक, सबका गुरुर मिट्टी में मिल गया

प्रा’चीन काम मे आज की तरह सुवि’धाजनक रा’स्ते न’ही भी हुआ करते थे। इतिहास के प’न्नो को खंगा’ले तो पता चलेगा को उससे वक्त ल’म्बा सफर करना कितना ज्यादा मु’श्किल होता था। वही जब रास्ता बीह’ड़ो और पहा’ड़ियों के बीच से जाता हो तो परे’शा’नियां और ज्या’दा बढ़ भी जाति है।

वही इ’तिहास में कुछ रास्ते ऐसे भी है जिन्हें ‘मौ’त का द्वा’र और मौ’त की घाटी जैसे नाम भी दिए है। ऐसा ही एक रास्ता ऐति’हासिक भी हुआ है जब खैबर दर्रा जिसे मौत की घाटी का द्वार भी कहा जाता है। इस लेख के जरिये जानते है कि इस इतिहा’सिक मार्ग से जुड़ी कुछ अनसुनी बाटे भी है।

khyber pass pakistan

यह खै’बर प’र्दा पाकि’स्तान के khyber pakhtunkhawa प्रान्त में अफगा’नि’स्तान की सी’मा से लगा एक पहा’ड़ी भी रास्ता है। यह मा’र्ग पेशावर से 11 मील दूर बाब ए खैब’र से शुरू होकर यहां से 24 मील दूर पाक और अफगान की ‘सी’मा पर भी ख’त्म होता है।

बीबीसी के एक रिपोर्ट के मुताबिक बता दे कि इस प’हाड़ी मार्ग पर कभी अफरी’दी कबाइ’लियों का दबद’बा था और उस वक्त यहां से गुज’रने वालो को टै’क्स के रूप में छोटी रकम आफरीदी कबाइलियों को देनी भी पड़ती है।

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इति’हास’का’रों का मानना है कि इस पहा’ड़ी मार्ग पर जित’ने भी आ’क्रम’ण हुए है उतने आज तक किस भी मार्ग पर नही हुए है। यहां के कई सै’न्य अभि’यान होजर भी गु’जरे है। जिसनें से कई अफ’रीदी क’बाइ’लियों का आ’क्रम’ण भी झेलना भी पड़ा है।

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