को’रो’ना सं’क’ट से निपटने के लिए देश मे लोक डाउन जारी है। ऐसे हालातो में मजदूर वर्ग के लोगो को प’रेशा’नी का सामना करना प’ड़ रहा है। ऐसे हा’ला’तो में बहुत से लोगो ने अपने घर तक का सफर पैदल ही किया है। इन लोगो को को’रो’ना का क’ह’र न’ही स’ता रहा था बस इनकी एक ही मंजिल थी वो अपने घर जा सके। ग’रीब होना एक बहुत ही बड़ा दु’ख है। वो ही जब किसी का बेटा विकलांग हो तो ये दु’ख औऱ ग’म्भी’र बना देता है।
अपने बच्चे को दुःख से ब’चा’ने के लिए माता पिता सभी हद से गुजर जाते है। एक ऐसी ही कहानी एक पिता ने अपने बच्चें के लिए घर का सफर तय करने के लिए साइकिल को चुरा लिया । जहां से साइकिल चुराई वहां पर एक चिट्ठी लिखकर भी रख दी।ये चिट्ठी सोशल मीडिया पर बहुत वा’य’र’ल हो रही है।ये चिट्टी एक मजदूर की है। बरेली के रहने वाले मोहम्मद इकबाल ने शायद इस बेबसी की इंतेहा से गुजर कर ये चिट्टी को लिखी है।
उन्होंने लिखा है कि वो अपने बेटे के लिए ये साइकिल को चुरा रहा है क्योंकि उनका बेटा एक विकलांग है। चिट्टी के आखरी में उन्होंने मजदूर और मजबूर लिखकर सभी मजदूर बर्ग के लोगो के लिए एक हकीकत पेश की है।मोहम्मद इकबाल ने ये साइकिल को भरतपुर के रारह से साइकिल को उठाया है। उन्हीने चिट्टी की शुरुआत में लिखा है कि मैं आपका कसूरवार हूं ।
मैं एक मजदूर हु और एक मजबूर भी । मेरे पास किसी तरह का कोई साधन नही है और मुझे अपने विकलांग बच्चे को लेकर बरेली तक जाना है।भरतपुर के रारह के पास के गांव शनावली निवासी साहबसिंह की बरामदे से ये साइकिल गायब हो गई थी। अगली सुबह साहबसिंह ने जब सफाई कर रहे थे तब उनको ये चिट्टी मिली।
ये एक कागज का टुकड़ा इकबाल की चिट्ठी थी। जिसे पढ़कर साहबसिंह की आंखों में आंसू आ गए। साहबसिंह का गुसा खत्म हो गया। उन्होंने आगे कहा कि इकबाल ने बेवसी में आकर ऐसा किया है नही तो बरामदे में बहुत सी काम के सामने भी थे । मोह म्मद इकबाल कोन था, क्या करता था और उसके साथ कोन था इसके बारे में कोई जानकारी नही मिली है।