जब मौलाना हुसैन अहमद ने दिया था फतवा, अंग्रेजो की फौज में भर्ती होना हराम, जज बोले- इस ..

देश मे अं’ग्रेजो ने कई सा’लों तक रा’ज किया है। इसी बीच मौ’लाना हुसै’न अहम’द मद’नी ने अंग्रे’जो हुकू’मत के खि’ला’फ फ’त’वा दिया था कि अंग्रे’जो की फ़ौ’ज में भर्ती होने ह’रा’म है। अंग्रे’जो ने हु’कू’मत ने मौ’ला’ना के खि’ला’फ मु’क’द’मा दा’यर कर दि’या है। सुन’वाई में अंग्रे’ज जज ने पूछा क्या आपने

फ’तवा दिया है कि अग्रे’जी फ़ौ’ज में भ’र्ती होने भी आ’रा’म है। मौ’लाना ने जवाब दिया कि हा फत’वा दिया है और सुनो, यही फत’वा इस अदा’लत में अभी दे रहा हूं और याद रखो आगे भी जिंद’गी भर यही फत’वा देता भी रहुंगा। इस पर ज’ज ने कहा था कि मौ’लाना इसका अंजा’म जानते हो।

maulana hussain ahmed madani

स’ख्त ही स’जा होगी। ज’ज की बातों का ज’वाब देते हुए मौ’लाना ने कहा था कि फ’तवा देना मे’रा काम है और स’जा देना तुम्हारा का’म है। तू स’जा दे। मौला’ना की बाते सुनक’र ज’ज को गु’स्सा आ गया और कहा कि इसकी स’जा फां’सी है। इस बात पर मौ’ला’ना मु’स्कुराते है और

अपनी झो’ली से एक क’पड़ा नि’का’लकर मेज पर रखते है। अब जज पूछते है यह क्या है मौ’ला’ना। मौ’लाना उनका जवा’ब देते हुए कहते है कि यह क’फ़न का कप’ड़ा है। मैं दे’वबं’द से क’फ़’न का कप’ड़ा भी साथ ले’कर आया था।

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इस पर ज’ज कह’ते है कि क’फ़’न का क’प’ड़ा तो यहां भी मि’ल जाता है। इस पर मौ’ला’ना कहते है कि जिस अंग्रे’ज की सारी उम्र मुखा’लफत की उसका कफ़’न पहन’कर क’ब्र में जा’ना मेरे ज’मीर को ग’वा’रा न’ही है।

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