हिंदुस्तान की कहानी: बचपन में ही अनाथ हो गई भी पूजा, महबूब के पिता बनकर निभाए तमाम फर्ज़

आज के इस दौर में एक तरफ तो इं’सानि’यत देखने को मिलती हैं और दूसरी तरफ नफ’रत भी देखने को मिलती है। आज हम जिस क’हानी की बात क र रहे है वह हमें यह बात बताती है कि किसी से न’फ’रत नही करना चाहिए।

कर्नाटक के विजय’पुरा के रहने वाले 8 साल की पू’जा की भी यही कहानी है उसके मा’ता पि’ता दोनों ही की मौ’त हो चुकी थी। पूजा को रि’श्ते’दा’र ने भी लेने से मना कर दिया था। ऐसे में मु’स्लिम समा’ज से ता’ल्लुक रखने वाले मह’बूब उसके लिए एक फ’रि’श्ता भी बनकर

आए और उसका साथ भी निभाया है और एक पिता के रूप में। उन्होंने पूजा को अपने बच्चों को तरह ही रखा है उसको पढ़ाया भी है और हर तरह की सुविधा भी दी है। जब पूजा 18 साल की हुई तो उन्होंने पूजा के ध’र्म के हिसाब से रिश्ता ढूंढने की भी कोशिश की है।

हि’न्दू री’तिरि’वा’जों से उन्होंने शादी भी कर’वाई है।उनका कहना है कि यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं उसकी शादी हि’न्दू री’ति’रिवा’जों से कर’वा’ओ। मैंने कभी भी उस पर हमारी संस्क्रति अपनाने का दवाब भी नही डाला है। उन्हीने आगे बताया है कि मैंने

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पूजा से यह भी नही पूछा कि वह नि’काह करेगी या फिर विवाह करेगी। पूजा का कहना है कि मैं बहुत ही ज्यादा खुश’नसी’ब हूं कि मुझे ऐसे मे बा’प भी मिले जिन्होंजे मेरा काफी ज्या’दा ख्या’ल भी रखा। पू’जा की शा’दी में दोनो धर्मो के लोग भी शामि’ल हुए थे।

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