जैसा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से साबित है कि मुस्लिम समुदाय में शिक्षा का स्तर बेहद ही कम है । और यह मुस्लिम लड़कियों में शिक्षा का स्तर 1-2 फीसद ही रह जाता है । लेकिन अब लगता है मुस्लिम समाज धीरे धीरे आगे बढ़ने के लिए कमर कस चुका है। लेकिन अब मुस्लिम लडकिया शिक्षा प्राप्त ही नही कर रही बल्कि जॉब को लेकर भी आगे आ रही है । यह तादाद शहरों में थोड़ी जरूर बढ़ती हुई दिखाई देती है ।
ऐसे भी पहले कोई भी काम करने के लिए महिलाए आगे नही आती थी। सदियों समय भी पहले ऐसा न मुमकिन था।महिलाओं को आजादी नही थी कि वो शिक्षा भी प्राप्त कर सके। ऐसे काल को कलयुग कह सकते है। जिसमें लड़कियों को जिं’दा ‘दफ”न कर दिया जाता था। आज भी बहुत से जगह ऐसा होता है। लेकिन सरकार इसके लिए दिनों दिन कदम उठा रही है।
आज के दौर की अगर हम बात करे तो सबसे ज्यादा शिक्षा को प्राप्त करने वाली महिलाए ही आगे है। आइये आपको एक ऐसी कहानी बताते है कि एशिया की पहली महिला ट्रैन डीजल इंजन ड्राइवर है जो भारतीय महिला है, इसमें सबसे खास बात है मुस्लिम महिला ।मुमताज अली नाम की यह महिला एशिया की ऐसी पहली और अकेली महिला ड्राइवर है।
जो डीजल ओर इलेक्ट्रॉनिक इंजन दोनो तरह की ट्रैन चला सकती है। इनका कहना है कि अगर महिलाए भी ऐसा काम कर सकती है। सिर्फ हौसला होना चाहिए। बुलन्दी को पाने के लिए हौसला और रुचि एक साथ होना जरूरी है। यह एक मुस्लिम समाज को बिलोंग करती है। मुस्लिम समाज मे ऐसा नही होता था। आज के दौर की बात करे तो मुस्लिम लडकिया भी अपना नाम रोशन कर रही है।
इनके पिता भी रेलवे ट्रेन में ड्राइवर थे। आपको बता दे कि राष्टपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें” नारी शक्ति पुरुस्कार” से सम्मनित भी किया था। वर्तमान में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस -ठाणे खण्ड पर मध्य रेलवे की उपनगरीय लोकल ट्रेन को यह चलाती है। जो कि महिला चालक द्वारा चलाए जानेवाला अब तक का भारत का पहला और सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाला रेलवे मार्ग है।