मुर्ग़ा रोज़ फ’ज़्र न’मा’ज़ से पहले क्यूँ लगाता है ये आवाज़ , हर मो’मिन को पढ़ना चाहिए , पै’गं’बर मो’हम्मद (स.अ.व.) ने फ़रमाया

सुबह सवेरे जब हम सोकर उठते है तो सब से पहले मुर्गे की आवाज सुनते है। मुर्गे की आवाज़ हमारे लिए एक घड़ी की मानिंद होती है , बहुत ही महत्वपूर्ण व बा ब’र’क्कत होती है। उसके बाद ही फ;ज्र की न;मा’ज का वक्त होता है। सूरज तलुए होता है। सवाल ये है कि मुर्गा सुबह बाँग क्यों करता है। क्या वह उठाने के लिए आवाज़ नहीं करता है ? क्या वह एक घड़ी है जो हर दिन उसी वक्त अलार्म की तरह बजता है।

क्या मुर्गे में घडी के अलार्म की तरह ऐसी कोई सहलियत होती है जो उन्हें बता देती है। मुर्गे का ये अमल कु’दरती तौर पर नींद से बेदार करने वाली घड़ी की तरह कैसे हो सकता है ? आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे है। ह’दी’स शरीफ में है कि जब मुर्गे की बाँग सुनो तो अ’ल्ला’ह से इस के फ’;ज’ल का सवाल करो। इसलिए उसका बाँग (आवाज लगाना ) देना इस बात की अ’ला म’त है कि उसने फ़’रि’श्ते’ को देखा है।

ह’ज़’रत अबू हु’रैरा र’ज़िय’ल्लाहू अन्हु रावी है , फरमाते है कि अल्लाह के र’सूल स’ल्लाहु’ अ’लैहि व’स’ल्ल’म ने फरमाया कि जब तुम मुर्गे को बाँग करते हुए सुनो तो अ’ल्ला’ह तआ ला से इस का फ’ज’ल मांगो। क्योंकि वो फ़’रि’श्ते को देखता है और जब ग’धे का रें’ग’ना सुनो तो शैतान म’र’दूद से अ’ल्ला’ह की प’ना’ह मां’गों । वो शै’ता’न को देखता है।

इस इ’र’शा’द गि’रामी का मतलब है कि मुर्गा फ़’रि’श्ते को देखकर बाँग करता है। इस से इस वक्त तुम अ’ल्ला’ह से दु’आ मां’गो ताकि वो आ’मी’न कहे। तुम्हारे लिए बख़्सिस मांगे।जब गधे की आवाज सुनो तो शै’ता’न म’र’दू’द से अ’ल्ला’ह की प’ना’ह मां’गो। क्योंकि वो शै’ता’न को देखकर रें’ग’ता है।

ह’दी’स इस बात पर द’ला’ल’त करती है कि ने’क ह’स्ति’यों के आने के वक्त अ’ल्ला’ह की र’ह’म’त और ब’र’क’त ना’जि’ल होती है। उस वक्त दु’आ मां’ग’नी चा’हिए। मु’र्गे के बारे में अ’बू दा’ऊद की एक ह’दीस है जिसमें ह’ज’र’त ज़ै’द र’ज़ि’य’ल्ला’हु अन्हा फरमाते है कि अ’ल्ला’ह के र’सू’ल स’ल्ला’हु अ’लै’हि व’स्स’ल’म ने इरशाद फरमाया कि मु’र्गे को कभी बु’रा ना कहो ये न’माज के लिए ज.गाता है।

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