15 अगस्त 1947 को भारत तमाम सँ’घर्षो के बाद आजाद तो हो गया लेकिन उस वक्त छोटी छोटी रि’या’सतों में भी विलय हो गई थी। आजा’दी के वक्त हैदराबाद रि’या’सत की ग’द्दी पर सातवे आ’समान पर नि’जाम उ’स्मान अली भी बैठे थे। उन्हें साल 1911 में ‘ग’द्दी भी मिली थी।
अपने श’कि, अड़ि’यल और जि’द्दी स्वभा’व के लिए चर्चित उस्मा’न अली दुनिया के सबसे अमी’र लोगो मे से एक थे। हालांकि उनके पास जितना ज्यादा पैसा था उतने ही ज्यादा वो कं’जू’स भी थे। बता दे मि चर्चित इतिहा’सकार और लेखक डोमिनिक लपियर और लेरी कोलिन्स
अलनी किताब फ्रीडम एट मिडनाइट में लिखते है कि साल 1947 में हैदराबाद के नि’जाम दुनिया के स’बसे अमीर शख्स माने जाते थे लेकिन इससे कही ज्यादा वो लोग कं’जूस भी थे।नि’जाम अक्सर ही मेले कुचैले’ सू’ती पाय’जामे और फटी जूतियों को भी पहनते थे। 35 सालो से वह एक तु’र्की टोपी भी पहनते थे।
जिसमे फंफू’द भी लगी हुई थी। उसमे जगह जगह पर सि’लाई भी लगी हुई थी।निजाम के पास उस वक्त 20 लाख पोंड से ज्यादा रकम थी। इस रकम को पु’राने अख’बार में लपेट करता तहखानों में ढेर लगाकर भी रखा करते थे । इसमें हर साल कई हजार पाउंड के नो’ट चू’हे भी कुत’र जा’ते थे।
आपको बता दे कि डोमव’निक ल’पियर और ले’री कोनि’क्स के मुताबिक नि’जाम के पास इतने ज्यादा सो’ने के बर्तन थे कि जो एक साथ 200 लोगो को उन बर्तनों में खाना खिला खाते थे।