आज डॉ. रईसा अंसारी फूटपाथ पर बेच रही फल, पहले मिला था बेल्जियम से शोध का अवसर, जानिए संघर्ष की पूरी कहानी

इंदौर नगर निगम की का’र्यवाही में उस समय मोड़ आ गया, जब एक सब्जी का ठेला लगाने वाली महिला निगमकर्मियों के सामने खड़ी हो गई और फर्राटेदार इंग्लिश बोलकर उनकी बोलती बंद कर दी। इंदौर में प्रशासन ने सब्जी ठेला संचलको को एक जगह पर खड़े होकर व्यापार करने पर प्र’तिबं’ध लगाया हुआ है। लेकिन बीते दिनों ही जब निगम के लोग मालवा क्षेत्र में स्थित सब्जी मंडी में कार्यवाही करबे के लिए गए तो वहाँ पर जब’रदस्त वि’रोध हुआ।

महिला के विरोध का ये तरीका सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वा’यरल भी हो रहा है। रईसा अंसारी ने भौ’तिकशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासील कर रखी है।50 रुपए किलो में आम बेचने वाली रईसा को देखकर उससे फल खरीदने वाले भी अंदाजा नही लगा पा रहे है कि साधारण सी दिखती ये महिला ने भौतिकशास्त्र में वैज्ञानिक शोध कर चुकी है।बता दे कि फर्स्ट क्लास एमएससी के बाद मेटेरियल साइंस में पीएचडी की डिग्री हासील की है।

 raisa ansari news

रईसा अंसारी को बेल्जियम में रिसर्च प्रोजेक्ट में जुड़ने का अवसर भी मिला था। रईसा ने बताया कि पारिवारिक परिस्थितियों ने मेरी जिंदगी की दिशा बदल दी। वी फल और सब्जी बेचने का काम करती है। 2011 में इंदौर के ही देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंस्टु मेंटेंशन से रईसा ने पीएचडी की है। रईसा कहती है कि उस समय मे सीएस आई आर की फेल्शिप पर आईआईएसईआर कोलकाता में रिसर्च कर रही थी।

दरअसल, बेल्जियम में चल रहे एक रिसर्च प्रोजेक्ट में यूनिवर्सिटी के मेरे सीनियर शिल्प, अनुपम और रंजत काम कर रहे थे। उनके रिसर्च हेड ने मुझे शामिल करने की अनुमति दी और ऑफर लेटर यहां पर भेज दिया। वहां जाने के लिए मेरे पीएचडी गाइड की जरूरत थी। लेकिन उन्होंने मेरे सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। बेल्जियम का मौका जब मेरे हाथ से निकला तो में इंदौर लौटकर आ गई।

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बता दे कि रईसा के परिवार में 25 लोग है। स्थानीय नेहरू नगर की बेकरी गली में रहने वाली रईसा के मुताबिक, तीन भाई, माता पिता के साथ दो भाइयों के आठ बच्चे है। दो भाभियां घर छोड़कर जा चूको है। तब ये बच्चे बहुत छोटे थे। इनकी देखभाल के लिए मेने अपना करियर भी छोड़ दिया। बच्चे और बहन अभी भी मेडिकल ला की पढ़ाई कर रही है।

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