ऐसे तो हर देश में अपने अपने नियम होते है उस के हिसाब से नागरीको को रहने की जरूरत होती है। बात करे सऊदी अरब की सऊदी अरब में दूसरे देशों की तुलना में स’ख्त नियम होते है जैसे कि महिलाओं को लेकर। ऐसे तो सऊदी अरब पुरूषों के साथ साथ महिलाओं को भी उनकी बराबरी करने का अधिकार देता है। सऊदी अरब ने भी बीते सालों में महिलाओं के लिए नए का’नून लेकर आया है जिससे वो भी आजादी के साथ अपनी जिंदगी जी सके।
बीते दिनों भी सऊदी सरकार ने महिलाओं के लिए यात्रा, त’लाक पंजी’करण या फिर बच्चों के दस्ता’वेजों को लेकर बिना छूट जाने की इजाजत को कहा है। बता दे कि हाल ही में सऊदी की एक अदालत ने एक क’नूनी मामले को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जो महिलाएं अपने परिजनों की अनुमति के बिना राज्य के अंदर स्वतंत्र रूप से रहने और यात्रा कर सकेगी उनको ये अधिकार दिया गया है।
सार्वजनिक रुप से ये फैसला जब आया है जब एक सऊदी महिला के बीच क’नूनी लड़ाई देखी गई थी। उन्होंने अपने माता पिता की अनुमति के पहले अपना घर छोड़ दिया था।उन्होंने रियाद की यात्रा की थी। एक वकील अब्दुर्रहमान अल लाहिम द्वारा प्रकाशित अदालती दस्तावेज के अनुसार , सरकारी वकील महिला जिसकी पहचान अल अरबिया समाचार एजेंसीद्वारा मरियम अल एतेबे के रूप में को गई थी।
इस महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा है कि इसको दं’डनी’य अपरा’ध नह माना जा सकता है क्योंकि महिला एक समझदार वयस्क है जिसे ये करने का अधिकार है कि वह क्या करना चाहती है। अल लाहिम ने एक ट्वीट में कहा है कि मैं इससे बहुत खुश हूं कि ये फैसला महिलाओं के लिए दु’खद कहानियों को समाप्त करेगा। अल अरबिया से बात करते हुए अल लाहिम ने निर्णय के बात पर जोर दिया।
अल लाहिम ने कहा कि ये फैसला एक नई पीढ़ी के निर्माण को दर्शाता है। अपनी जीत के बाद कमेंट्स में अल एतेबे ने कहा है कि वो 3 साल से इस लड़ा’ई को लड़ रही थी। 2017 के बाद से चली आ रही लंबी पीड़ा के बाद, मेने आज सऊदी संविधान द्वारा स्वतंत्रता आंदो’ल’न को वापस लेने के लिए अदालत के नायक श्री अब्दुर्रहमान अल लाहिम के साथ मिलकर काम किया। जिंसमे कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक को आं’दो’ल’न की स्व’तंत्र’ता है।