मजदूर की बेटी शमसिया ने किया काबुल यूनिवर्सिटी टॉप , पढ़िए गरीबी में रहकर कैसे हासिल किया मुकाम

आज दुनिया में महिला’ओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है । चाहे वो अ’फगा’नि’स्ता’न में कोय’ला खदा’न में काम करने वाले कि बेटी अलीज़’दा हो, या सऊदी अरब में पहली एम्बु’लेंस ड्राइ’वर सारा हो या कोई देश में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करनी वाली फातिमा हो जिन्होंने देश मे बेटियों के लिए पहला स्कूल खोलने में अहम योगदान दिया ।

एक वक्त ऐसा भी था जब महिला’ओं को सिर्फ घरों तक ही महदूद रखा जाता था लेकिन आज महिलाएं पुरुषों की तरह की हर क्षेत्र में कार्य कर न सिर्फ परिवार का भर’ण पोष’ण कर रही है बल्कि परिवा’र, समा’ज और देश की त’रक्की में भी अहम योगदान दे रहि है । हमने रानी लक्ष्मीबा’ई , अ’हिलीया’बाई और रजि’या सु’ल्ता’न का नाम सुना है जिन्होंने यु’द्ध के क्षेत्र में दु’श्म’नों के छक्के छु’ड़ा दिए थे । आज समा’ज में जरूर म’हिलाओं का महत्व दिया जाता है लेकिन ये भी कहना दुरुस्त नही होगा कि महिलाओं का सम्मान सभी करते है,आज की घटनाएं इसका उदाहरण है ।

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हम बात कर रहे है , अ’फ’गा’नि’स्तान की बेटी शमसिया अलीज़ादा की, जिन्होंने मात्र 18 वर्ष की उम्र में यूनिवर्सिटी टॉप किया है । अफगान की इस बेटी 1करीब 2 लाख विधायर्थियो को पछाड़ते हुए टॉप में।जगह बनाई है । शमसिया अलीज़ादा की इस कामयाबी पर अफ’गा’नि’स्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई और विदेशी राजदूत जिनमें अमेरिकी प्रतिनिधि भी उन्होंने बधाई दी है ।

शमसिया आलीज़ाद की तारीफ अफगान सरकार के अलावा मीडिया और तालि’बा’नी भी कर रहे है । गौरतलब है कि अ’फ’गा’नि’स्तान में ता’लि’बा’नी इ’स्ला’मी का’नू’न लागू करना चाहते है इसके लिए उन्होंने हाल ही में कुवैत में हुई अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोमपियो से मुलाक़ात के दौरान की थी । इस दौरान ता’लि’बा’नी और अम’री’की फौ’जो के बीच समझौता भी हुआ था ।

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बता दे, तालि’बा’न ने शम’सिया के यूनिवर्सिटी टॉप करने पर बधाई भी दी है । इस बारे में मीडिया से बात करते हुए शम’सिया ने कहा कि वो आगे भी पढ़ाई जारी रखेगी । बता दे, काबुल में उनके पिता ने उन्हें पढ़ने के लिए भेज दिया था जबकि उनके पिता को’यले की खदा’न में काम करते है । श’मसिया ने कहा कि वो मेडिकल की पढ़ाई करना चाहती है

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