ए’र्दोगन को आया गरीबों पर त’रस ,बोले- सभी मु’स्लिम ज़कात दे तो दुनियाभर का कोई भी मु’सलमान भु’खा न म’रे

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने कहा है कि यदि सभी लोग जरू’रतमंदों की मदद करे तो कितना अच्छा हो । गरीबों, जरूर’तमंदों की मदद जका’त के द्वारा शरी’यत के दायरे में रहकर की जाए तो और बेहतर है । बता दे इस्ता’म्बुल में हुई ओ आईसी की एक बैठक को सम्बो’धित करते हुए उन्होंने कहा कि मु’स्लिम देश अपने लोगों के लिए मेहनत नही कर रहे हैं।

एर्दो’गान ने कहा कि ओआईसी सदस्य राज्यो में रहने वाली 21 फीसदी आबादी लगभग 350 मिलियन मु’स्लि’म लोगों के बराबर है। जो बहुत ज्यादा ग’रीब की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि सबसे अमीर मुस्लि’म देश और गरीबो के बीच का अंतर लगभग 200 गुना है। अगर मुसल’मान इस्ला’म के चौथे स्त’भ के अनुसार जकात देते है , तो मुस्लि’म देशों में कोई ग’रीब नही होगा।

इस बात को ज्यादा तरीके से साबित किया जाता है कि यह ज’कात क्यों जरूरी है । कुरान मजी’द में अ’ल्लाह त’बारक व तआला ने इरशाद फरमाया कि जकात तुम्हारी कमाई में ग’रीबों और मिस्की’नों का हक़ है। जकात क्या है , आइये जानते है । बता दे, शरी’यत के मुताबि’क अपने माल का एक हिस्सा मुस्लि’म फकीर या जरूरत’मंद को देना जकात कहलाता है ।

श’रीयत में जकात किसे देनी वाजिब है, किसको दी जाए, इसके कौन ह’क़दार है सब बताया गया है । बता दे, मु’स्लिम अपनी जकात का एक हिस्सा रमजा’न के पवि’त्र माह में निकालते है । इसको हर मुस्लिम घर में से इनको निकाला जाता है। ऐसे तो हमें हर उस श’ख्स की मदद करनी चाहिए, जो गरी’ब हो , मि’स्कीन हो, जरूर’तमंद हो । शरीय’त में इसको विस्तार से बताया गया है । यही इस्ला’म ध’र्म कानू’न का नि’यम है ।

ज’कात का म’सला अगर समझ ले तो बहुत आसान है । ज’कात शरी’यत के अनुसार उसे ही दी जाए जो इ’सका सबसे ज्यादा हक़’दार हो, सबसे ज्यादा जरूर’त हो। वो शख्स जिसकी आमदनी कम हो और खर्चा ज्या’दा हो उसे जकात दे तो बेहतर है । अल्लाह तआला ने इसके लिए कुछ औ’हदे और पैमाने तय किए है ,जिस हि’साब से आप जकात दे सकते है ।

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