टूटे हुए बर्तन में खाना खाना और पानी पीना कैसा है ? नबी ए करीम (स.अ.व.) ने फ़रमाया

अ’स्स’ला’मु आ’लै कुम दोस्तों। आज हमारे मु’आ’श’रे में ये बात बहुत मशहूर है कि टू’टे बर्तन में खाना पीना म’हरूह है। या फिर नाप’सन्दी’दा है। आज कुछ लोग टू’टे हुए ब’र्तन में खाने पीने ह’राम तक समझते है। खास तौर पर मु’स्लि’म म’हिलाएं टू’टे हुए बर्तन में खाने को ग’ल’त स’म’झ’ती है । लेकिन इस बात की कोई असल न’ही है। यह सिर्फ अ’फ’वा’ह है, इ’स्ला’म का इससे ता’लुल्क नही है। इस के बरअ’क्स अ’ल्ला’ह के र’सू’ल स’ल्ला’हु अ’लै’हि व’स’ल्ल’म से टू’टे हुए ब’र्त’न का इ’स्ते’माल करना साबित है।

द’लील पे’श ए खिद’मत हैं। ह’जरत अ’नस बि’न मा’लिक र’जि अ’ल्ला’हू अ’न्हा ने बयान किया है कि अ’ल्ला’ह के र’सूल के पानी पी’ने का प्याला टू’ट गया तो टू’टी हुई जगह को चां’दी की जं’जीरों से जु’ड़वा लिया। हज़रत आ’सिम कहते है कि मैंने वो प्या’ला देखा है। इस में मैंने पानी भी पि’या है। सही बुखारी : (3109) आ’सिम अह’वल ने बयान किया कि मैने अ’ल्लाह के र’सूल का प्याला ह’ज’रत अन’स रजिअल्लहु अन्हा के पास दे’खा वो फ’ट/टू’ट गया था।

ह’जरत अ’नस ने उसे चां’दी से जो’ड़ दिया। ह’ज’रत आ’सिम ने बयान किया कि वो उ’म्दा चौ’ड़ा प्या’ला है। च’मक’दार ल’कड़ी का बना हुआ। ह’जर’त अ’नस र’ज़ि अ’ल्लाहु अ’न्हु ने बताया कि मैने इ’स प्या’ले से अ’ल्ला’ह के र’सू’ल को बा’रह पिला’या है। रावी ने बयान किया कि इ’ब्ने सी’रि’यन ने कहा की इस प्या’ले में लो’हे का एक ह’ल्का था। हजर’त अनस र’जि अ’ल्ला’हू अ’न्हा ने चाहा कि इसकी जगह पर सो’ने या चां’दी का ह’ल्का ल’ग’वा’ले।

ह’ज’र’त अबू त’ल्हा र’ज़ि अ’ल्ला’हु अ’न्हु ने कहा कि इसे न’बी ए क’री’म स’ल्ला’हु अ’लै’हि व’स्स’ला’म ने बनाया है। उन्होंने इस पर से ]] कुछ भी ह’टा’ने से म’ना कर दिया। चुनां’चे , इस पर से कुछ नहीं हटाया गया। सही बुखारी :- (5678 ) । इ’न सब ह’दीस से मालू’म हुआ कि हमें टू’टे हुए ब’र्तन में खाना जा’यज है। हा अगर वो ब’र्तन में खाना ना रु’के या फिर पानी ना रु’के तो उस बर्तन को इस्ते’माल न’ही करना चाहिए।

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