Anna Hazare: मुंबई में फूल बेचते अन्ना हज़ारे ने कैसे तय किया भ्रस्टाचार विरोधी एक्टिविस्ट तक का सफर

भ्र’ष्टा’चा’र को देश में सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर युवाओं को बांधने वाले और भू’ख ह’ड़’ता’ल से सबको महात्मा गांधी की याद दिलाने वाले अन्ना हज़ारे ने दिल्ली की रा’ज’नीति में एक अहम् चेहरा एक समय माने जाते है। उसी आंदोलन से निकले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उसी दौर का चेहरा भी है।

हरदम ही खादी कपड़े और सिर पर गांधी टोपी पहनने वाले अन्ना का जन्म 15 जून,1938 को महाराष्ट्र के भींगरी गांव के एक किसान परिवार में हुआ। 6 भाई बहनों वाले अन्ना के परिवार ने काफी गरीबी भी देखी है। इसके बाद ग’री’बी से ल’ड़’ने के लिए अन्ना मुम्बई पहुँच और पढाई छोड़कर काम की शुरुआत भी की है।

unknown facts about anna hazare

वो एक फू’लवाले की दुकान पर बैठ फूल बेचते है जिसके उन्हें 40 रुपए महीने मिलते है। इस बारे में बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में भी बताया था।अन्ना के भीतर देशसे’वा का ज’ज्बा जब तब उ’फन’ता था। यह साठ के शुरुआ’त द’शक की बात भी है। भारत और चीन यु’द्ध के बाद स’रकार ने युवाओं से

ज्यादा से ज्यादा से’ना में आने की अ’पील की है। अन्ना फूल की दु’कान को ‘छोड़क’रसीधे से’ना की रे’जिमें’ट में पहुँच गए थे। यहाँ पर वो ड्रा’इवर का कम करने लगे।बता दे कि अ’न्ना को सूच’ना के अधिकार के लिए भी जाना जा’ता है। साल 1997 में उन्होंने इस का’नून के स्पो’र्ट में ज’मकर आं/दो/लन भी किया था

unknown facts about anna hazare

और साल 2003 में म’हारष्ट्र की तत्कालीन सरकार ने इस का’नू’न को ज्या’दा स’ख्त और पा’रदर्शी भी बनाया था। वो गावो को भ’ष्टाचार के लिए जिम्मेदार भी मानते थे। इसके खि’ला’फ आं’दोल’न भी करने लगे। महाराष्ट्र को सत्ता हिलने लगी थी।

Leave a Comment