नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा मु’ल्क को आजा’द कराने के लिए सिंगा’पुर में गठि’त आजा’द हि’न्द फ़ौ’ज ने क्रां’ति’कारी आं’दो’लन में अपना ब’ड़ा योगदा’न दिया है। असल मे बड़ी संख्या मेंदे’श’वासी ब्रिटि’श से’ना में का’म तो कर रहे थे लेकिन उनके दि’लों में देश को आ’जाद क’राने और दे’श से मो’हब्ब’त करने का ज’ज्बा पल भी रहा था।
ब्रि’टि’श से’ना में भर्ती हजारो मुसलमान सैनिक भी वतन पर’स्ती और देश को आ’जाद क’राने के सच्चे ज’ज्बे को अपने दि’लों में बसा’ए ब्रिटी’श सेना की नोकरियो छो’ड़कर आजा’द हिंद फौज में शामिल हो गए थे। यहां तक कि बड़ी सं’ख्या मेंमु’सलमा’न अनु’भवी फौ’जियों ने देश की खातिर लड़ते हुए अपनी
जा’न कुर्बा’न कर अपना नाम अमर शही’दों में भी लि’खवा लिया था।रा’ष्ट्रीय पुरा’ता’त्विक संग्र’हालय के रिकॉ’र्ड में आ’जाद हिं’द फ़ौ’ज के कुछ ऐसे मुसलमनो के नाम भी दिए है। जिन्होंके ब्रि’टि’श शा’स’न के विरुद्ध’सँघर्ष करते हुए देश अपनी जान भी कु’र्बा’न की है। अब्दुल अजीज- यह पहले ब्रिटिश सेना में थे।
यह इम्फा’ल में।ल’ड़’ते’ हुए श’ही’द हुए थे। अब्दु’र्रहमान खा- यह जिला झेलम पंजाब में पै’दा हुए थे। यह भी आजाद हिंद फ़ौज की दूसरी गोरिलल रेजीएमेन्ट में हवल’दार भी हुए थे। यह ल’ड़ते हुए श’ही’द हुए थे।अहमद खां- यह आ’जद हि’न्द फ़ौ’ज की तीस’री रेजिमेंट में हवल’दार हुए थे। इंफा’ल के क’रीब ल’ड़ा’ई में श’ही’द हुए थे।
अख्तर अली-आजद हिन्द फ़ौज की दूसरी गो’रिल्ला केप्टिन में पद पर तै’ना’त हुए थे। यह मैदान जं’ग में श’ही’द हुए थे। इनके अलावा अल्ताफ हुसैन, अल्लाह दिन बल्द मोला बख़्श, बाबू खा, बरकत, बशीर अहमद, छोटू खा आदि श’ही’द हुए थे।