हमारे देश मे तमाम नदिया बहती है। इन सब नदियों कि अपनी एक कहानी भी है। गंगा नदी को सबसे ज्यादा प’वित्र नदी माना जाता है। हमारे देश मे एक ऐसी नदी भी बहती है जो शा’दियो से पानी के साथ साथ सोना भी बहकर लाती है। सैकड़ो सालों के बाद भी यह
वै’ज्ञानि’कों के लिए एक रह’स्य भी बना हुआ है। आज तक इस नदी के रेत में सोने के कण मिलने की सही वजह का पता वैज्ञा’निक न’ही लगा सके है।झारखंड में बहने वाली यह नदी स’वर्ण रेखा के नाम से जानी भी जाति है। इसे सो’ने की नदी भी कहा जाता है। सैकड़ो सालों से इस
नदी की रेत से सोना निकाला भी जा रहा है। भू वैज्ञानिकों का यह मानना है कि तमाम चट्टानों से होकड यह नदी बहती है। इसी दौरान घर्षण की वजह से सोने के कण इसमें घुल भी जाते है। यह नदी झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ इलाको में बहती है।
कई इलाकों में इस नदी को सुबर्न रेखा के नाम से भी जाना जाता है।इस नदी का उदगम रांची से करीब 16 किलोमीटर दूर होता है। सवर्ण रेखा और उसकी एक सहायक नदी भी है जिसका नाम करकरी है। इन नदी की रेत में भी सोने के कण पाए भी जाते है।
इसमी कुछ लोगो का कहना है कि सवर्ण रेखा में सोने के कण, करकरी नदी से ही बहकर पहुचता है। बता दे कि करकरी नदी की लंबाई 37 किलोमीटर है।