पिता पू’जा करता है, बेटा नमा’ज पड़ता है, पि’ता का नाम शंकर है, बेटे का नाम अब्दुल है। एक ही आं’गन में दिया भी जलता है और नमा’ज भी अदा होती है। वो नव’रात्र भी रखते है और रोजा भी रखते है।यही हिं’दु’स्तान का सच है। कुछ दिनों पहले जिस राजधा’नी में लोगो का का’ट’ने का ना’रा लगाया गया है वही से कुछ ऐसी त’स्वीरे भी देखने को मिली है।
राजस्थान के अजमेर में ऐसे परिवार भी रहता है जो हि’न्दू भी है और मु’स्लि’मstory of hindustanstory of hindustan भी है। राजस्थान के करीब चार जिलों में एक समुदा’य भी रहता है। यह एक ऐसा समुदाय है जहां एक ही परि’वार में हि’न्दू और मु’स्लि’म रहते है। इस समुदा’य का नाम चिता मेहरात समुदाय है। राजस्था’न में इस समु’दाय की सं’ख्या क’रीब 10 लाख भी बता’ई जाती है।
माना जाता है कि इस समुदाय का ता’ल्लुक चौहा’न रा’जाओं से है।इन्होंने करीब सात सौ सालों पहले इ”स्ला’म की कु’छ प्र’थाओं को अपनाया भी था। तब से यह समु’दाय एक ही साथ हि’न्दू मुसल’मान है।अजमेर के अज’यसर गांव के रहने वाले जवाहर सिंह बताते है कि मैं हि’न्दू हूं
लेकिन मेरे बेटे का नाम सलाउ’द्दीन है। हमारे यहां भे’द न’ही है। हम शा’दियां भी इसी तरह से करते है। सैकड़ो सालो से यही होता भी रहा है।इस गांव में एक ही जगह मास्जिद भी है और मंदिर भी ह। जब शा’दियों में लड़के की बारात निकलती है तो
दूल्हा मा’स्जिद और मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए भी जाता है। इतना ही नही असम के मति’बर रहमान भगवा’न शं’कर के मं’दिर की देखभाल भी करते है। 500 साल पुराने इस मंदि’र की देखभाल वही लोग करते आए है।