मेहनत अगर सच्चे दिल से की जाए तो सफलता जरूर मिल ही जाती है। यूपीए’ससी की हमारी शँखला में आपने कई सफ’लताओं के कहानियां भी पढ़ी होगी लेकिन आज जिस शख्स के बारे में हम आपको बताने जा रहे है। उसकी स’फलता की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा भी साबित हो सकती है।
जो मुश्किल हालातो और ग़रीबी के आगे अपने सपनो को सा’कार न’ही कर पाते है। आ’ईपीएस अ’धिकरी के बारे में बताने वाले है जिनका नाम किशोर कुमार रजक है। किशोर कुमार एक ऐसे इलाके से आते है जो न’क्स’ल प्रभा’वित क्षेत्र है। ग’री’बी इतनी है कि उन्हें अपने बच’पन के दिनों में मज’दूरी करनी भी पड़ी है।
लेकिन मेहनत और लग्न के इतने पक्के थे कि पहली ही बार मे अधिकरी पद पर हासिल भी किया है।आइये जानते है कि किस तरह से उन्होंने इस सफ’लता को हासिल भी किया है। किशोर कुमार रजक झरखंड के बोकारो ज़िले के एक छोटे से गांव बड्डी बिनोर के रहने वाले है। उनका गांव चन्दन केर विधनसभा केअंतर्गत भी आता है।
साल 2007 में सेमेस्टर की पढ़ाई में वो फे’ल भी हो गए। हालांकि साल 2008 में उन्होंने स्नातक की डिग्री को हासिल कर लिया था। किशोर कहते है कि बचपन मे उन्हें एक टीचर ने बताया था कि अगर मजदूरी करोगे तो मजदूर ही बने रहोगे। टीचर की इस सिख ने उन्हें बहुत ही ज्यादा प्र’भा’वित भी किया है।
किशोर ने बचपन से ही बड़ा अधिकरी बनने का विचार भी कर लिया था। इसके बाद उन्होंने साल 2011 में 419 वी रैंक के साथ यूपीएससी की।परीक्षा को भी पास किया। इस रैंक को पाकर वो आईएएस और आईपीएस अधिकरी तो नही बन पाए है।