“जब इरादा बना लिया हो आपने ऊंची उड़ान उड़ने का तो फिर देखना फिजूल है कद आसमान का” ये पंक्तियां बिहार के लाल पर बिल्कुल फिट बैठती है । बिहार के लाल ने पढ़ाई की फीस अंडे बेचकर भरी, बार बार असफल हुए लेकिन हिम्मत नही हारी । सफलता में गरीबी जरूर रोड़े आई लेकिन उनकी हिम्मत नही डिगी। फिर UPSC में उन्होंने परीक्षा पास की और उनकी मेहनत का फल सामने है।
मनोज कुमार का जन्म बिहार के सुपौल में हुआ। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। लेकिन वो पढ़ाई में बिल्कुल इंटेलिजेंट थे। बिहार में सरकारी स्कूलों में टीचर की संख्या और पढ़ाई से सभी अवगत है। ऐसे में बच्चों को पढ़ना भी आसान नही होता है। उनके माता पिता ने भी उन्हें पढ़ाई से ज्यादा पैसा कमाने की सलाह दी।
उनको पैसे कमाने के लिए बार बार फोकस करने के किये कहा जाता था । वे शुरुआती पढ़ाई करने के बाद नौकरी के लिए दिल्ली चले गए । जब वो दिल्ली आए तब तक उनका विचार आगे की पढ़ाई करने का नही था लेकिन किस्मत को कुछ और कि मंजूर था। वे कमाकर घर मे कुछ योगदान देना चाहते थे। घर वालो को भी उम्मीद थी कि मनोज घर चलाने में उनकी मदद करेंगे ।
जब मनोज 1996 में दिल्ली तो एक साधारण परिवार में जन्मे कुमार के लिए यहाँ रहना असंभव था । नौकरी की तलाश में दिन बीतते गए । इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नही हारी । लेकिन उन्होंने दिल्ली रहने का फैसला किया ।
जिससे कि उनकी रोजी रोटी चलती रहे ।मनोज जेएनयू में राशन सामग्री पहुचाने का कार्य करने लगे। लेकिन एक दिन उनकी मुलाकात छात्र उदय कुमार से हुई जिन्होंने उनको पढ़ाई के प्रोत्साहित किया ।
एक इंटर व्यू में मनोज कुमार ने कहा उदय से हमारी गहरी दोस्ती हो गई। उन्होंने मुझे पढ़ाई ले लिए सलाह दी ।
मनोज की अंग्रेजी कमजोर थी जिसकी वजह से वो UPSC मेंस क्लियर नही कर पा रहे थे। ऐसे में उन्होंने अंग्रेजी को मजबूत करने की ठानी । उन्होंने अंग्रेजी और फोकस किया ।
लेकिन फिर भी एक के बाद एक तीन कोशिशें नाकाम हुई लेकिन मनोज ने UPSc क्लियर करने की ठान रखी थी । चौथे अटेम्प तक उनकी उम्र 30 हो चुकी थी 33 साल के बाद वो परीक्षा नही दे सकते थे। लेकिन मनोज ने पढ़ाई का तरीका बदला और यूपीएससी पास की ।