कहते है कि अगर कुछ करने की ठान लो तो कोई भी प’रेशानी आपका रास्ता नही रोक सकती। ठान कर किसी काम मे जुट जाए तो सफलता जरूर मिलती है। यह बखूबी साबित किया है हैदराबाद की जमील फातिमा जेबा ने जिन्होंने अपने माता पिता का नाम और देश का नाम रोशन किया है। बता दे, ज़ेबा जिस माहौल में रहती है , वहां लड़कियों को ज्यादा पढ़ाने लिखाने का शोक नही है। उनके यहां पर कम उम्र में ही शादी कर दी जाती है और करियर नाम का कोई शब्द डिक्शनरी में भी नही होता है।
ऐसे माहौल में भी जेबा ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने का मन बनाया बल्कि एक ऐसा परीक्षा को पास करने का उद्देश्य भी रखा, जिंसमे अच्छे अच्छे भी सफल नही हो पाते है। जेबा उन केन्डिडेड में से नही आती जो बचपन मे ही सिविल सर्विसेस में जाने की योजना बना लेते है। जेबा को हमेशा ही एक ऐसी नोकरी पाने की इच्छा थी जो उन्हें आराम ओर संतुष्ट कर सके।
वो समाज के लिए कुछ करना चाहती थी और उनके माता पिता ने लोगो के ताने भी सुने वो ऐसे लोगी को जवाब देना चाहती थी ।हैदराबाद मणिकोंडा की जेबा ने जब अपना कॉलेज खत्म किया उस समय उन्होंने फैसला किया की जिस तरह की जॉब वो चाह रही थी वो केवल एक ही सिविल सर्विसेस था। सेंट फ्रांसिस कॉलेज से उन्होंने एमबीए करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का मन बनाया।
इसके लिए उन्होंने कोचिंग ज्वाइन की। जेबा दिन रात तैयारी कर रही थी फिर भी उनका चयन नही हो रहा था। जेबा एक इंटरव्यू में बताते है कि जब मुझे तैयारी की दिनों में निराशा होती थी तो मैने ये लाइन्स कही पड़ी थी। जिन्हें में याद कर लेती थी।
मंजिल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है । पंख से कुछ नही होता, होसलो से उड़ान होती है।। दुनिया की परवाह किए बगैर वो तैयारी में जुट गई। जेबा ने में 62 वी रेंक के साथ 25 साल की उम्र में ये परीक्षा पास की।