इस म’ज़ार पर रोज़ आता है शे’र और करता है ये कार्य जिसे सुनकर आप है’रान हो जायेंगे

हमने ऐसे कई तरह के अ’ल्लाह व’ली की द’र’गा’ह के वाकिये सुने होंगे। जिन्हें देखकर इं’सा’न है’रान रहे बि’ना न’हीं रह सकता है। कुछ लोग वा’किया सु’नकर ड’र भी महसूस करते है। लेकिन यह वाला वा’किया जिसका जिक्र कु’रान पा’क में भी हुआ है। लेकिन अ’ल्लाह के व’लि’यो को किसी का भी ड’र नही होता है। अ’ल्ला’ह के ‘वली जहाँ होते है सबके साथ में मो’ह’ब्ब’त और अ’म’न से पेश करते है। ‘अ’ल्ला’ह के व’ली कभी भी किसी को त’क’ली’फ न’ही देते है।

आज तक दुनिया मे जितने भी व’ली त’श’री’फ़ लाए है। कभी भी किसी को परेशान न’ही किया न ही उनको परेशानी की हा’ल’त में दे’खा है। सभी से मो’ह’ब्ब’त करते है और किसी का भी म’ज’ह’ब नही देखते है। अ’ल्ला’ह ता’ला उनको जमीन के किसी भी हि’स्से में भेजता है तो वो व’ही जाते है। वो इस दु’निया मे लोगो को बु’रा’ई से रो’क’ने के लिए आते है। ‘ह’ज’र’त ख्वा’जा मो’ई’नु’द्दी’न चि’श्ती’ र’ह’म’तु’ल्ला’ह त’आ’ला अलै;हि संजर में पैदा हुए ।

उनको हु’क्म हुआ कि आप हिं’दु’स्ता’न चले जाओ वो हिं’दु’स्ता’न आए। वो हमेशा ही हिं’दु’स्ता’न में रहे । उनका मजार श’री’फ रा’ज’स्था’न के अ’ज’मे’र जि’ले में है। ला’खो की तादात में उनके आ’स्था’ने पर लोग जाते है, मु’राद पाते है। मु’म्बई शहर में भी बु’जुर्ग ह’स्ती या है। जिनमें स’मुन्द्र’ के बा’द’शा’ह पिया हा’जी अ’ली और ह’जरत अब्दुल र’ह’मा’न म’लं’ग शा’ह के नाम से लोग जानते है। प’हाड़ पर इ’नका म’जार श’रीफ है। इनके म’जार की सी’ढ़ियां 1700 है। इनके म’जार शरी’फ पर हमेशा भीड़ लगी रहती है।

इनकी वा’लिदा मो’ह’त’रबा अरब की रहने वाली है। उन्होंने म’न्न’त मांगी थी कि मेरा जो भी बेटा होगा में अ’ल्ला’ह त’आ’ला की रा’ह में दे दूँगी। जब आप पै’दा हुए तो आपकी वा’लिदा ने आ’प’को अ’ल्ला’ह की राह में व’क्फ कर दिया । आप न’माज पढ़ते , इ’बा’दत करते रहे । आगे चलकर आप वली बने। आप हमेशा लोगो से मो’ह’ब्बत करते थे। इं’सान तो इंसान है लेकिन आप तो जा’न’व’र से भी मोहब्बत करते थे। आपकी म’जा’र पर शे’र भी आता है ।

यह शे’र किसी को भी नु’कसान नही पहुँचता है। इनके आ’स्था’ने पर पी’छे की तरफ एक च’श्म जारी है । जिनमे से पानी बहता रहता है। लाखो अ’की’द’त’मंद आते है और तब’र्रुक की तरह इसको अप’ने साथ मे ले जाते है। कहते है कि इस पा’नी से शि’फा मिलती है। लेकिन आज तक पता नही चला कि यह पानी कहा से आता है। यह तो बस म’लं’ग शा’ह बा’बा की क;रा’मा’त है। सु’भा’नअ’ल्ला”ह।

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